Bhabhi sex stories
Cheat wife - Indian girl fuck with his son in law
In the story of brother-sister sex, read that my sister had killed her pussy and ass from me. After Papa's death, both of us decided to get married and live together.
Hello friends, how are you all! I am very happy to read all your emails that you all liked the story of brother and sister sex, the
little sister's ass fuck
. Maintain love like this.
Please tell me also that who has kissed her sister or sister in law.
Along with this, I would also like to say that people are asking again and again that they will fuck their sister with me… So I want to say right now that yes I have no objection, if my sister Shweta will say yes to you. And you promised to keep it confidential, then its pussy is open for your cock… just you have to decide that your cock should be bigger than 7 inches.
Let me now come to the story of brother-sister sex. You had read in the last part of my sex story how we both had fun at our house on the day of Holi. I fucked my sister's pussy and ass.
I hope your pussy must have left the water and the cocks rubbed.
Since Holi holiday was going to be long, the father stopped Shweta in the village itself. Although she did not want to stop, she had to stay. I too reluctantly returned back to the city.
Here I used to shake cocks every day by remembering my sister Shweta and talking to her on the phone. Hathu i.e. Muth used to keep on beating her bra-panties.
About a month ago, Shweta got a call that Papa had a heart attack. You come here soon
I was terrified to hear this and ran away with one of my friend's bikes. I reached the village after two hours.
By then the father's condition had become very bad.
I started preparing to bring them from the village to the city, but it was probably late. Papa was able to say the same thing to both of us that we should take care of each other in life. After saying this, father went away.
This mountain of sorrow was broken on both of us, so as whole life changed. Now the shadow of the parents had risen from us.
For the next 2 months both of our siblings stayed in the village. While there, I kept thinking about what to do next. He meditated a lot about it and both of us decided. I sold the village land and house and deposited that money in the bank. Then after coming back to the city, we both thought what to do next.
So Shweta said - Brother we have no one but each other and you also know that we cannot live without each other now. So why don't we live somewhere else in an unknown city, we will take a small house there. In the society, we both form a new relationship.
After listening to him, I said - Yes Betu, you are right. Will you marry me?
She said yes brother, this is what I am also saying.
I agreed with her and filled her in my arms and both of us started thinking about which city we should live. Or should stay somewhere else in the same city.
Later it was decided that it would be better to stay somewhere else in the same city for the time being.
After this, both of us first took a two-room house at the other end of the same city.
Almost 2 months passed while doing all this. It was now 4 months since my father left. During this time, both of us had not played the game of cocks even once.
When all the legal paperwork ended after 5 days of taking home, on that day both of us breathed peace.
it was Saturday. Shweta was cleaning the room. So my eyes suddenly went to her shaking ass. The roundness of his ass was already increased and the bursts had also become bigger. Now her pussy was getting more full than before.
My devilish cock just stood up. I woke up and while pressing cocks on her ass, I caught my sister.
After so many days, the comfort of getting him to stick to my body like this, I cannot say that.
We both clung to each other and hugged us like this.
When we separated, Shweta had tears in her eyes. When I asked him the reason for this, he told that these are tears of comfort. Both of us have gone through a lot of difficulty for the last 4 months.
I told Shweta - My life is now a season of sorrows, now it will be a season of love and love.
He said- Yes my dear brother. You are right
I kissed her and started caressing with love.
After a few minutes she said - Brother, will you only love… or will you also pay?
My sister shot me an eye while saying this.
I also said - when my dear sister will become my bride now… and I will come with me on a pleasant evening, only then will you get her pussy. Till you do not remove the child of both of us from your pussy, then I will keep fucking you.
श्वेता ने किलक कर कहा- हां मेरी इस चूत को पेलो न भैया … जिसको तुमने पेल पेल कर अपने लंड से कली से फूल बना दिया है. शादी का क्या है … वो तो आप अभी ही मेरी मांग में सिंदूर भर दो.
मैंने उसकी इच्छा समझते हुए कहा- अच्छा ऐसा है … तो कल ही मंदिर में शादी कर लेते हैं.
श्वेता ने कहा- भैया शादी सिर्फ सिंदूर लगाना और मंगलसूत्र पहनना नहीं है. ये तो औपचारिकता है. हम दोनों तो पति पत्नी उसी दिन से हैं, जिस दिन पहली बार आपका लंड मेरी चूत में गया था. ये सिंदूर, मंगलसूत्र तो मात्र समाज को दिखाने के लिए होता है. आप ऐसा कीजिए भैया … आप अभी ही बाहर जाईए और कुछ सामान ले आईए.
मैंने कहा- कौन सा सामान?
उसने कहा- रुकिए, मैं लिस्ट बना देती हूँ.
फिर थोड़ी देर में वो एक सामान की लिस्ट बना कर लाई और मुझे थमा दी.
मैंने उसे पढ़ा और खुश हो गया. एक बार फिर से मैंने अपनी श्वेता को अपनी बांहों में लेकर चूमा और बाजार निकल गया.
मैं बाजार से 30 मिनट में वापस सामान के साथ आ गया. सामान में फूलमाला, कुछ दूल्हा का लिबास और दुल्हन के श्रृंगार का सामान. कुछ सुहागरात वाला आदि सामान था.
मैंने आते समय एक मेडिकल स्टोर से कामवर्धक दो गोलियां भी ले ली थीं.
जब घर आकर मैंने श्वेता को सामान दिया, तो वो बोली- अब आप आधे घंटे बाद ही इस रूम में आइएगा और अपनी बहन को दुल्हन बना देखिएगा. आप भी जल्दी से दूल्हा बन जाईए.
मैं खुश था. फिर 30 मिनट में मैं तैयार हो गया था. मुझे ये तो पता था ही कि अन्दर मेरी बहन मेरे साथ सुहागरात मनाने की तैयारी कर रही है, पर वो ये सब किस तरह करना चाहती है, ये मुझे नहीं पता था, पर हां इतना जरूर मालूम था कि ये सुहागरात का कार्यक्रम सामान्य वाला कार्यक्रम नहीं होगा. क्योंकि मैं अपनी बहन श्वेता को अच्छे से जानता था.
मैं बाहर इसी उधेड़बुन में लगा था कि श्वेता ने मुझे आवाज लगा दी कि अब आप अन्दर आ सकते हैं.
मैं दूल्हा बना हुआ अन्दर गया, तो अन्दर का नजारा कुछ इस तरह का था कि कमरे की सारी लाइट्स बन्द थीं.
लगभग 15 से 20 मोमबत्तियां पूरे रूम में जल रही थीं, मस्त भीनी सी खुशबू रूम में फैली हुई थी. हमारा बेड फूलों से भरा पड़ा था.
फिर जब मेरी नजर श्वेता की तरफ गयी, तो मैं उसे देखता रह गया. उसने लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी, जिसे देख कर मैं समझ गया कि ये मां की साड़ी थी, जिसे पापा ने अब तक संभाल कर रखा था.
श्वेता तो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी. वो लाल लिपस्टिक में और ही ज्यादा कातिल लग रही थी. और उसका ये रूप कातिल क्यों लग रहा था, जानते हैं … उसने अपने बदन से सिर्फ साड़ी को ही लपेट रखा था. ना ही उसने ब्रा या ब्लाउज पहना था … और न ही उसने पेटीकोट और पेंटी को पहना था. उस झीनी शिफोन की कशीदाकारी वाली साड़ी में वो पूरी तरह नंगी दिख रही थी.
मैं उसे देखता ही रह गया. उसके हुस्न और उसके कातिल चुदाई की देवी जैसे सौन्दर्य को देख कर मैं बस उसे देखने में ही खो गया.
अचानक से मेरी तब तंद्रा टूटी … जब उसने कुछ कहा.
मैं तुरंत ही उसकी ओर लपका, तो उसने रोक दिया और बोली- पहले शादी … फिर सुहागरात.
तो मैं अचकचा गया कि अब इस वक्त ऐसी ड्रेस में ये शादी करने मन्दिर कैसे जाएगी.
तभी उसने कहा- भैया, आप पूरा दूल्हा बन गए हैं.
मैंने कहा- हां मेरी दुल्हन, शादी जो है हमारी.
उसने कहा- हां भैया मेरी कुछ ख्वाहिश और अरमान हैं … या बेवकूफी कहो. मगर जैसा मैं कहूंगी, वैसे ही आज हम दोनों की पहले शादी होगी.
मैं बोला- जैसी तुम्हारी मर्जी मेरी जान.
उसने कहा- आप पहले पूरे नंगे हो जाओ.
मैंने एक पल कुछ सोचा और पूरा नंगा हो गया.
फिर उसने कहा- अब पगड़ी पहन लो … और सामने वो दिया रखा है, उसे जलाओ.
मैंने वैसा ही किया.
फिर उसने मुझसे कहा कि अब सिंदूर उठाओ.
मैंने कहा- जान तुम भी नंगी हो जाओ न.
वो मेरी बात सुनकर साड़ी खोल कर पूरी नंगी हो गयी. उसने अपने बदन पर बस पूरी ज्वैलरी को ही पहने रखा.
इस समय वो एक काम देवी लग रही थी.
फिर उसने कहा- भैया अब मेरी मांग भरो.
मैंने अपनी चुटकी में सिंदूर लिया, तो उसने मुझे रोक दिया और बोली- अपने लंड से सिंदूर लगाओ.
उसकी इस अजीब सी ख्वाहिश सुनकर अब मुझे भी इस शादी में मजा आने लगा. मैंने भी सिंदूर की डिब्बी को अपने लंड के करीब किया और अपना लंड उसमें डुबो दिया.
तभी श्वेता मेरे करीब आकर नीचे बैठ गयी. मैंने लंड लगे सिंदूर से अपनी बहन की मांग भर दी.
मुझे तो इतना मजा आ रहा था कि क्या बताऊं.
फिर उसने कहा- दुबारा लंड पर सिंदूर लगाओ.
मैंने फिर से वैसा ही किया और इस बार उसने अपनी चुचियों के दानों पर सिंदूर लगवाया.
तीसरी बाद उसने फिर से लंड पर सिंदूर लगाने को बोला … और इस बार वो अपनी चूत खोल कर लेट गयी और बोली- मेरी चूत की फांकों में अपने लंड से सिंदूर लगा दो.
मैंने उसके ऊपर आते हुए वैसा ही किया. उसने मुझे अपने हाथों से जरा उठने का इशारा किया, तो वो पलट गई और मैं समझ गया. मैंने फिर से लंड को सिंदूर से लाल किया और उधर उसने अपने हाथों से अपने चूतड़ों को खोल कर गांड का छेद सामने कर दिया था. मैंने अपनी बहन की गांड के छेद पर भी लंड से सिंदूर लगा दिया.
अब तक मेरे लंड में इतनी वासना जाग चुकी थी कि उसमें से प्रीकम टपकने लगा था. मेरा मन था कि मेरी बहन एक बार लंड चूस कर उसका प्रीकम चाट ले. मगर आज मैंने उसके मन के अनुसार ही सब होने दिया.
फिर वो उठी और उसने पास रखे मंगलसूत्र को उठा कर मेरे लंड पर लपेट कर लंड से निकल रहे प्रीकम से मंगलसूत्र को भिगोया और उसे मुझे अपने गले में बंधवा लिया.
अब बारी थी फेरों की, तो अक्सर आपने देखा होगा कि जोड़ों के कपड़ों में आपस में गांठ बांधकर फेरे लिए जाते हैं, पर यहां तो कुछ अलग होना था.
उसने मेरा लंड पकड़ लिया और जलते दिए के दो फेरे लिए.
फिर श्वेता ने कहा- भैया, अब मुझे गोद में उठा कर अपना लंड मेरी चूत में डालो और दो फेरे ले लो.
मैंने उसे अपनी कमर पर लटकाया और उसकी चूत में लंड डाले डाले दो फेरे ले लिए.
फिर श्वेता ने कहा- अब मेरी गांड में लंड डालो … और फिर से दो फेरे लो.
मैंने वैसा ही किया.
अब बचा था एक फेरा … तो मैंने पूछा- ये कैसे लेना है?
तो उसने आंख मार दी.
अब क्या बताऊं दोस्तो, जब भी श्वेता आंख मारती है … तो उसके दिमाग में जरूर कोई बड़ी शैतानी चल रही होती है.
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